गोपेश खर्राटा
अरे कोई तो रोको, कोई तो टोको, बर्तन चीख चीखकर कह रहे हैं। वैसे भी दिन में तो कोई सोता नहीं, पर जब तुम दोपहर में थोड़ी देर के लिए ही सही इस घर की देहरी लांघ जाते हो, तो हम थोड़ा आराम फर्मा लिया करते हैं।
घर के दरवाजे से घुसते ही सामने रखी सभी कुर्सियां एक-दूसरे से चुहलबाजी करती हैं। उनकी बातों में मोहल्ले की महिलाओं की भांति अपनी-अपनी रामकथा है। हर कथा के बाद तुम्हारे ही घुर्राटों (खर्राटे) का जिक्र होता है, कैसे लेते हो तुम घुर्राटे।
दाईं ओर बगल के रसोईघर में चूल्हे पर रखा कुकर अपनी सीटी की तेज कर्कश आवाज के बावजूद तुम्हारे खर्राटों के सामने नतमस्तक हो जाता है। अपने स्थान पर पड़े हुए वह रोज सोचा करता है कि ये खर्राटे कहां से आते हैं। ये कौन सी प्रजाति (ब्रांड) का कुकर है, जिसकी आवाज मेरी सीटी से भी तेज है।
कमरे में लगा पंखा रात में अपनी स्पीड बढ़ाकर इन खर्राटों की आवाज को दबाने की नाकाम सी कोशिश करता है। कहीं, वह नट-बोल्ट ढीला होने के कारण तुम्हारे ही सिर पर आकर न गिर पड़े। यदि ऐसा हुआ तो खर्राटों की आवाज कुछ हद तक दबाने वाला इस घर का यह वीर सिपाही एक दिन शहीद हो जाएगा। और फिर कोई इन दुर्दांत खर्राटों से टक्कर नहीं ले सकेगा। बाकी सब सामान तो इस मामले में पहले से ही असहाय हैं।
बाथरूम में रखा ब्रश, साबुनदानी, टूथपेस्ट, नल, वॉशबेसिन, स्क्रबर, आफटर शेव, रेजर, बाल्टी, मग्गा, आईना यहां तक कि कमोड और कमोड के नीचे लगा पाइप तक चीखकर कह रहा है कि तुम ये खर्राटे लेना बंद कर दो।
पाइप वादा करना चाहता है कि वह तुम्हारे मल को सदैव सरलता से उस टैंक तक पहुंचाने का कार्य नि:स्वार्थ भाव से करता रहेगा, जिसे भरने का तुमने सदियों से प्रण ले रखा है।
देखो शर्ट की बटनें भी खुसुर-पुसुर कर रही हैं कि दिन में तो सोने देता नहीं और रात में भी खर्राटों से जान खाए लेता है।
मेरे मित्र, मेरे सखा मैं तुमसे कहता हूं, क्यों इतने लोगों से बुराई मोल लेते हो अपने घुर्राटों को काबू में रखो, ये पाकिस्तान के जवानों को सीमा पर युद्ध के समय सुनाने के काम आएंगे। इन्हें निरंतर क्रम में रातभर सुनकर वहां के दो-चार हजार जवान तो शहीद हो ही जाएंगे। जरा सोचो, ऐसा हुआ तो एटम बम भी तुम्हारी महिमा का गुणगान करते ना थकेगा। और ऐसा न हुआ तो इतना तो होगा कि वे नौकरी छोड़ भाग खड़े हों।
- योगेश साहू
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