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कमजोर कानून का नतीजा: नाबालिग दोषी रिहा

प्रतीकात्‍मक फोटो
निर्भया के नाबालिग दोषी की रिहाई। क्‍यों न कानून और कड़े किए जाएं ?

क्या वाकई समय रहते दोषी की रिहाई के खिलाफ याचिका दाखिल नहीं की जा सकती थी ?
क्या सरकार पिछले तीन साल में और भी कठोर कानून नहीं बना सकती थी?

निर्भया के माता-पिता को प्रदर्शन करने से रोक जा रहा है, क्या हम कभी ये समझ भी सकते हैं कि उन पर क्या बीत रही होगी ?
और तो और क्या मज़बूरी है कि पीड़िता के माता पिता को खुद अपना नाम उजागर करना पड़ रहा है। अमूमन रेप पीड़िता या उसके परिवार का नाम उजागर नहीं किया जाता है।
सरकारों को सोचना चाहिए कि समय के साथ अपराध और अपराधी की सोच बदलती है, अपराध करने के तरीके बदलते हैं, इसलिए कड़े कानून बनाने चाहिए। ऐसे प्रावधान हों जिनसे कोई अपराधी कानूनी दांव-पेंच का सहारा लेकर कहीं बचकर न निकल जाए।

योगेश साहू

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