ग्लूकोमा: सावधानी ही बचाएगी अंधेपन से
प्रतीकात्मक तस्वीर |
ग्लूकोमा यानि काला मोतिया आंखों की एक बेहद गंभीर बीमारी मानी जाती है। इससे कई बार आंखों की रोशनी भी चली जाती है। नीचे दिए गए विवरण से आप जान सकते हैं कि आप अपनी आंखों को सेहतमंद कैसे रखें.....
मौजूदा दौर में कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल रोजमर्रा की जरूरत बन गए हैं। इनमें से किसी पर भी काम करते समय हमारी आंखों पर बहुत दबाव पड़ता है, लेकिन हम इसे गंभीरता से नहीं लेते। आंखों से संबंधित परेशानियों की अनदेखी और लापरवाही समय के साथ आगे चलकर धीरे-धीरे ग्लूकोमा जैसी गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है, जिससे आंखों की रोशनी तक जा सकती है।
ग्लूकोमा क्या है
ग्लूकोमा आंखों पर पड़ने वाले अतिरिक्त दबाव की वजह से होता है। यह ऐसी बीमारी है, जिसमें आंख के अंदर के पानी का दबाव धीरे-धीरे बढ़ जाता है। इससे देखने में परेशानी होने लगती है या दिखना भी बंद हो सकता है। समय से जांच और इलाज कराने से अंधेपन से बचा जा सकता है।क्यों होता है ग्लूकोमा
हमारी आंखों में मौजूद लेंस के आगे की जगह को इंटीरियर चेंबर कहते हैं। इसमें मौजूद पानी को एकुअस ह्यूमर कहा जाता है। एकुअस ह्यूमर लेंस और कोर्निया को ऑक्सीजन और भोजन पहुंचाता है। अगर किसी कारण से एकुअस ह्यूमर का बहाव जाम हो जाता है तो आंखों का दबाव बढ़ जाता है, जो ऑप्टिक नर्व पर भारी दबाव डालता है। अलग-अलग लोगों में यह दबाव विभिन्न स्तर तक अलग-अलग असर डालता है, यानी किसी को कम प्रेशर पर भी अधिक असर होता है और कोई अधिक प्रेशर में भी बिना परेशानी के रह सकता है। ऑप्टिक नर्व पर दबाव पड़ने से पीड़ित मरीज को देखने में दिक्कत होती है या फिर उसे अंधापन भी हो सकता है।क्या है ऑप्टिक नर्व
ऑप्टिक नर्व एक तरह की नस होती है, जो आंख को दिमाग से जोड़ने वाली होती है। यह लाखों नसों को जोड़ कर बनी हुई होती है। सही तरह से देखने के लिए ऑप्टिक नर्व का स्वस्थ रहना भी बेहद आवश्यक होता है।कारण और भी
कुछ लोगों में आंख में बगैर प्रेशर या दबाव बढ़े भी ग्लूकोमा हो सकता है। इसे नॉर्मल टेंशन ग्लूकोमा कहा जाता है। यह बहुत ही कम लोगों में देखने को मिलता है।किसे हो सकता है ग्लूकोमा
40 से इससे अधिक उम्र के लोगों को यह रोग हो सकता है।
आनुवांशिक तौर पर परिवार में किसी को पहले से ग्लूकोमा हो तब।
ग्लूकोमा से बचने के लिए क्या करें
जिनको यह बीमारी होने की आशंका हो, वे समय से आंखों की जांच कराएं।अगर ग्लूकोमा के चिह्न् प्रकट होने लगे हैं तो डॉक्टर से परामर्श के बाद दवा लें।
कैसे होती है जांच
हमें अपनी आंखों का इलाज किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से करवाना चाहिए। इसमें आंखों में दवा देकर पुतली को बड़ा किया जाता है। फिर आंख के सामने और पीछे के चेंबर को देखा जाता है। जांच से आगे के चेंबर का प्रेशर नापा जाता है। यह भी देखा जाता है कि क्या कोर्निया पतला हो गया है। ये भी देखा जाता है कि ऑप्टिक नर्व पर प्रेशर का कहीं कोई असर हुआ है या नहीं?यूं करें देखभाल
ग्लूकोमा को रोकने का कोई प्रमाणित तरीका नहीं है। हालांकि इसके बेहतर से बेहतर इलाज की खोज की जा रही है। दुनियाभर में अलग-अलग जगहों पर चिकित्सा क्षेत्र के वैज्ञानिक शोध में लगे हुए हैं। खैर, फिर भी यदि हमें आंख में बढ़ते दबाव का समय रहते पता चल जाए और आरंभ में ही इसका उपचार किया जाए तो इससे दृष्टि की हानि को कम किया जा सकता है और अंधेपन से बचा जा सकता है।आज के दौर में हर व्यक्ति को 40 वर्ष की आयु के बाद कम से कम पांच वर्ष में एक बार आंखों की जांच करानी चाहिए और इसके साथ ही ग्लूकोमा से संबंधित जांच भी करानी चाहिए। यदि आंखों पर दबाव बढ़ने लगे तो आपको और भी जल्दी-जल्दी आंखों का परीक्षण कराना चाहिए। हालांकि इसके लिए किसी तरह की हड़बड़ाहट बरतने की कोई जरूरत नहीं है। धैर्यपूर्वक जांच कराएं और डॉक्टर के निर्देश का पालन करें।
इन बातों का भी ध्यान रखें
- आंखों पर दबाव न पड़ने दें।
- नियमित रूप से आंखों का व्यायाम करें।
- तनाव का सामना करने के तरीके तलाशें।
- कैफीन का सीमित प्रयोग करें।
- अधिक से अधिक फलों और सब्जियों को अपने प्रतिदिन के आहार में शामिल करें।
- चोट से बचने या खेलकूद के दौरान अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा उपकरण जरूर पहनें।
- मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्टरॉल और हृदय रोग को नियंत्रित रखें।
- ग्लूकोमा के उपचार के लिए प्रचारित की जाने वाली हर्बल दवाओं का प्रयोग बिना डॉक्टरी सलाह के कतई न करें।
इलाज से नहीं बढ़ेगी बीमारी
आईकेयर हॉस्पिटल, नोएडा, उत्तर प्रदेश में नेत्र विशेषज्ञ डॉ. शालिनी शर्मा का कहना है कि ग्लूकोमा का सबसे अच्छा और प्रारंभिक इलाज आंख में दवा डालना है। इससे आंख को हो चुके नुकसान को तो ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन आंखों पर पड़ रहे दबाव को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही भविष्य में दृष्टि हानि की आशंका को भी कम किया जा सकता है। ग्लूकोमा के आरंभिक उपचार आंखों में दवा डालने के अलावा अन्य उपचार भी हैं जिनमें लेजर उपचार या शल्यक्रिया कराना भी शामिल है। वैसे ग्लूकोमा का इलाज ताजिंदगी कराना होता है। बेहतर रहेगा कि आप डॉक्टर से संपर्क बनाए रखें और समय-समय पर जांच कराते रहें।क्या हैं लक्षण
- धुंधला नजर आना
- प्रकाश के ईद-गिर्द प्रभामंडल दिखना
- पार्श्व दृष्टि खो देना
- सीमित वृत्तीय दृष्टि
- लाल आंखें
- आंखों में बहुत तेज दर्द होना
- उल्टी आना
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