Amazon

Amazon
Shop Now ON Amazon

मटियामेट होती हिंदी

प्रतीकात्मक फोटो 
दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन का अयोजन 10 सितंबर को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें शामिल होने वाले हैं। इस संबंध में नई जानकारी यह है कि पुणे के अनुराग गौड़ और उनके साथियों ने ट्विटर की तर्ज पर पूरी तरह हिंदी में काम करने वाली 'मूषक' नाम की सोशल नेटवर्किंग साइट पेश की है। इसे 10 सितंबर को ऑनलाइन किया जा सकता है।

इन सारी खबरों और जानकारियों के बीच बड़ा सवाल यह है कि यह सब हिंदी भाषा को बढ़ावा देने में कितना कारगर साबित होगा। केंद्र सरकार हिंदी के विस्तार के लिए प्रयास कर चुकी है। दक्षिण भारत में जिसका विरोध भी हो चुका है। वहीं दूसरी तरफ भारतीय मीडिया हिंदी को लेकर कितना गंभीर और जिम्मेदार है यह रोज टीवी स्क्रीन और अखबारों में छपी खबरों में दिखाई पड़ जाता है।

स्वयं हम और आप अब विशुद्ध हिंदी से कोसों दूर हो चुके हैं। असल में हिंदी अब हिंग्लिश हो गई है। अंग्रेजी के शब्दों की आम बोलचाल में गहरी पैठ ने विशुद्ध हिंदी की सूरत बदल दी है। हमारे लिखने-पढऩे में भी अब वो बात नहीं रही। आजकल के किस्से-कहानियों में भी हिंग्लिश भाषा का प्रयोग हो रहा है। क्योंकि सारा जोर भाषा से हटकर संवाद कायम करने पर हो गया है। यदि आप बेहतर संवाद स्थापित कर सकते हैं तो उसके लिए भाषा कैसी भी हो, काम की है। एेसे में मटियामेट होती हिंदी के लिए विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन भाषा प्रेमियों के लिए राहत की खबर है।
                                                                                                                         योगेश साहू

 

Comments

Popular posts from this blog

गोपेश खर्राटा

छोटी चोरी, बड़ा नुकसान