मटियामेट होती हिंदी
प्रतीकात्मक फोटो |
इन सारी खबरों और जानकारियों के बीच बड़ा सवाल यह है कि यह सब हिंदी भाषा को बढ़ावा देने में कितना कारगर साबित होगा। केंद्र सरकार हिंदी के विस्तार के लिए प्रयास कर चुकी है। दक्षिण भारत में जिसका विरोध भी हो चुका है। वहीं दूसरी तरफ भारतीय मीडिया हिंदी को लेकर कितना गंभीर और जिम्मेदार है यह रोज टीवी स्क्रीन और अखबारों में छपी खबरों में दिखाई पड़ जाता है।
स्वयं हम और आप अब विशुद्ध हिंदी से कोसों दूर हो चुके हैं। असल में हिंदी अब हिंग्लिश हो गई है। अंग्रेजी के शब्दों की आम बोलचाल में गहरी पैठ ने विशुद्ध हिंदी की सूरत बदल दी है। हमारे लिखने-पढऩे में भी अब वो बात नहीं रही। आजकल के किस्से-कहानियों में भी हिंग्लिश भाषा का प्रयोग हो रहा है। क्योंकि सारा जोर भाषा से हटकर संवाद कायम करने पर हो गया है। यदि आप बेहतर संवाद स्थापित कर सकते हैं तो उसके लिए भाषा कैसी भी हो, काम की है। एेसे में मटियामेट होती हिंदी के लिए विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन भाषा प्रेमियों के लिए राहत की खबर है।
योगेश साहू
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Hi, I Would Like To Read Your Words.