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आइडिया पैनल अक्टूबर से बंद कर देगी गूगल, ब्लॉगर को ब्लॉग के बीटा वर्जन में ये फीचर नहीं दिखेगा

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आइडियाज पैनल ब्लॉग लिखने वाले ब्लॉगर्स के लिए यह एक बुरी खबर है। दरअसल, गूगल अपने आइडिया पैनल या यूं कहें कि आइडियाज पैनल टूल को वापस लेने जा रहा है। यह टूल अक्टूबर से ब्लॉगर्स को दिखाई नहीं देगा। आइडिया पैनल क्या है? आइडिया पैनल ब्लॉग में कहां दिखाई देता है? आइडिया पैनल किस काम आता है? आइडिया पैनल को कैसे इस्तेमाल करें? ब्लॉग में आइडिया पैनल नहीं दिखाई देने का क्या मतलब है? अगर आप भी ऐसे तमाम सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं तो इस पोस्ट को आखिर तक पढ़िए, आपके सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे। वो भी आसान भाषा में। आइए सबसे पहले जानते हैं कि आइडिया पैनल क्या है?  आइडिया पैनल असल में गूगल का बनाया हुआ एक टूल है। यह ब्लॉग लिखने वाले ब्लॉगर्स की मदद के लिए बनाया गया था। गूगल के ब्लॉगर प्लेटफॉर्म के लिए यह नया टूल लॉन्च किया गया था। अब सवाल यह है कि ब्लॉग में आइडिया पैनल टूल ब्लॉगर को कहां दिखाई देता है?  इसका सीधा जवाब यह है कि आइडिया पैनल टूल बीटा वर्जन वाले ब्लॉग में दिखाई देता है। यह ब्लॉगर को उसकी पोस्ट वाले सेक्शन पर क्लिक करने के बाद दायीं तरफ यानी राइट साइड में दिखाई पड़ता है। आइडिया पैनल ट

पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध, सही है...

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आतंकी फंडिंग और ऐसी ही दूसरी तरह की गतिविधियों में लिप्त होने के कारण से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई और उससे जुड़े हुए संगठनों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। केंद्र सरकार ने पीएफआई जैसे संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगाकर एक संदेश देने की कोशिश की है। संदेश ये कि देश को तोड़ने के प्रयास सफल नहीं होने दिए जाएंगे। यह सही भी है।  देश को तोड़ने की कोशिश करने वाला कोई भी हो, उसे ठीक-ठीक सबक दिया ही जाना चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है ताकि आने पीढ़ी भी अपने आसपास एक सुरक्षित माहौल देख सके। वैसे कुछ मुस्लिम संगठनों ने भी पीएफआई पर लगाए गए प्रतिबंध का स्वागत किया है। यह अच्छा है। कारण कि चंद लोगों की वजह से बाकी नेकदिल इंसानों की छवि खराब होती है।  छवि खराब करने के ऐसे जतन को जितना हो सके उतना हतोत्साहित किया जाना चाहिए। आखिर मिलजुलकर रहने में बुराई क्या है? सोशल मीडिया के दौर में कई उदाहरण वीडियो की शक्ल में देखने को मिल जाते हैं, जिनमें आपसी भाईचारे का संदेश दिया होता है। इंसान की इंसानियत नहीं मरनी चाहिए, फिर चाहे परिस्थिति कैसी भी हो। पीएफआई पर हुई कार्रवाई से जुड़ा एक तथ्य काफी अहम है। दर

आपबीती : कोरोना महामारी से जूझते हुए हम

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कोरोना वायरस जब से अपने नए-नए स्वरूपों के साथ पूरी दुनिया में फैला है, इसने लाखों लोगों की जान ले ली है। बस इतना ही नहीं, यह आज भी लाखों लोगों की परेशानी का सबब बना हुआ है। कारण कि इसकी वजह से कई लोगों ने जान गंवाई है तो वहीं कई लोग परेशानियां झेल रहे हैं।  ऐसे लोगों की फहरिस्त में अब मेरा नाम भी जुड़ गया है। हालांकि अभी तक तो सबकुछ ठीक ही है। जैसा कि मेरे डॉक्टर ने कहा- जान का जोखिम नहीं है। परंतु डॉक्टर की इस बात को सुनकर सतर्कता और सावधानी को कम नहीं किया जा सकता। हाल यह है कि रह-रहकर खांसी आ रही है। कभी तेज हो जाती है तो कभी धीमी।  खांसी के तेज होने पर डर सताने लगता है कि कहीं शरीर के अंदर कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं चल रही है। ऐसी गड़बड़ जिसके बारे में मैं खुद और डॉक्टर भी अनजान हैं। क्योंकि हमारी चिकित्सा व्यवस्था अभी इतनी आधुनिक नहीं हुई है कि शरीर के अंदर की हर बारीक से बारीक गड़बड़ी को पकड़ सके।  जैसी कि विज्ञान फंतासी से ओतप्रोत फिल्मों में हमें दिखाया जाता है। बहरहाल, मुझे लगता है कि यह सारी बातें लिखकर कम से कम मैं अपने जहन और मन को तो शांत कर पाऊंगा। अपने अंदर की बातों का जाहि

स्वास्थ्य और पोषण से जुड़ी 6 जरूरी बातें

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जब स्वास्थ्य और पोषण की बात आती है तो भ्रमित होना आसान है। यहां तक ​​​​कि योग्य विशेषज्ञ भी अक्सर विरोधी राय रखते हैं, जिससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि आपको वास्तव में अपने स्वास्थ्य को अनुकूलित करने के लिए क्या करना चाहिए। फिर भी, तमाम असहमतियों के बावजूद, कई वेलनेस टिप्स अनुसंधान द्वारा अच्छी तरह से समर्थित हैं। यहां 28 स्वास्थ्य और पोषण संबंधी युक्तियां दी गई हैं जो वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित हैं। 1. मीठा पेय सीमित करें सोडा, फलों के रस और मीठी चाय जैसे सुगन्धित पेय अमेरिकी आहार में अतिरिक्त चीनी का प्राथमिक स्रोत हैं। दुर्भाग्य से, कई अध्ययनों के निष्कर्ष बताते हैं कि चीनी-मीठे पेय से हृदय रोग और टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है, यहां तक ​​कि उन लोगों में भी जिनके शरीर में अतिरिक्त वसा नहीं है। चीनी-मीठे पेय भी बच्चों के लिए विशिष्ट रूप से हानिकारक होते हैं, क्योंकि वे न केवल बच्चों में मोटापे में योगदान कर सकते हैं, बल्कि ऐसी स्थितियों में भी योगदान दे सकते हैं जो आमतौर पर वयस्कता तक विकसित नहीं होती हैं, जैसे टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप और गैर-मादक वसायुक्त यकृत रोग। स