Amazon

Amazon
Shop Now ON Amazon

अपराधी बेटा, पर सजा भुगत रही मां

बदमाश विकास और उसकी मां सरला
कानपुर में हिस्ट्रीशीटर बदमाश विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई। इस दौरान आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। और एन्काउंटर की खबर पूरे देश में आग की तरह फैल गई। खैर ये जो हुआ बुरा हुआ।

परंतु हमारे देश में राजनीति और अपराध के गठजोड़ की बात किसी से छिपी नहीं है। देश के कई नेताओं पर मुकदमे दर्ज हैं, ये सब जानते हैं, फिर भी उन्हें वोट तो देते ही हैं। पर ये छोड़िए, गौर करने वाली बात तो दूसरी है। वो ये कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद सरकार ने बदमाश विकास का घर ही तोड़ दिया। जेसीबी ऐसी चली कि पूरा घर तहस-नहस हो गया। इंटरनेट पर आप इस टूटते घर का वीडियो भी देख सकते हैं।

मुझे इस घर में रहने वाले किसी शख्स से रब्ता नहीं है। लेकिन घर तोड़े जाने के दृश्य के साथ विकास की मां की तस्वीर भी देखी। घर टूटने के बाद उन्होंने कई सारी बातें कहीं। इनमें से खास वो बात है जिसमें वह सवाल उठा रही हैं। सवाल ये कि विकास इतना ही बुरा था तो फिर राजनीतिक पार्टियों ने उसे अपने दल में शामिल क्यों​ किया?

अब माता जी का सवाल इसलिए वाजिब जान पड़ता है क्योंकि जानकारी तो यही निकलकर सामने आई है कि विकास 5 साल तक भाजपा, फिर 15 साल बसपा और 5 साल सपा का सदस्य रहा।

विकास अपराधी कैसे बना? इस सवाल पर विकास की मां सरला साफ अंदाज में कहती हैं कि नेता-नगरी ने उसे बिगाड़ दिया। उसने बिकरू के साथ ही आसपास के 85 गांव का पूरा इलाका चमका दिया था। बिजली-पानी और सड़क, सब कुछ किया।

बहरहाल, वापस लौटते हैं मूल बात पर कि सरकारी अधिकारियों ने जेसीबी से विकास का घर तुड़वा दिया। अब माता जी पूछ रही हैं कि घर तो टूट गया इस बुढ़ापे में वह कहां जाएं। उनकी बात सही भी है, अपराध उनके बेटे ने किया है, तो फिर सजा किसी और को नहीं दी सकती। हमारे देश का कानून भी यही कहता है कि दो​षी को सजा मिले, परंतु निर्दोष को नहीं। और फिर अगर घर अवैध रूप से बनाया गया था तो अभी ही क्यों यह कार्रवाई की गई। पहले भी तो कर सकते थे। ऐसा लगता है कि एक मां अपने बेटे के अपराधों की सजा भुगत रही है।

विकास के खिलाफ 50 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, ये कोई एक दिन में तो दर्ज नहीं हो गए। तो फिर पहले कार्रवाई क्यों नहीं हुई, और हुई भी तो विकास बचता कैसे रहा। एक खबर थी कि 14 साल पहले विकास गिरफ्तार भी हुआ था, लेकिन फिर जमानत पर छूट गया। उस रिपोर्ट में विकास को जमानत मिलने के पीछे पुलिस की ही गलती बताई गई थी।

ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब अपराधियों के जहन में कानून और सजा का डर नहीं रहेगा। ऐसा कतई नहीं होना चाहिए। हम वोटरों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। हमें उन लोगों को चुनाव में जिताना चाहिए जो अपराधी ना हों। जिन्हें अपराध करने से भय लगे। जो नेकदिल हों। सुशिक्षित हों, सज्जन हों। फिर भले ही वह निर्दलीय ही क्यों ना खड़े हुए हों। आने वाले महीनों में एक राज्य में चुनाव की रणभेरी फिर बजने वाली है। इसलिए यह बात ध्यान में जरूर रखिएगा।

-योगेश साहू



Comments

Popular posts from this blog

गोपेश खर्राटा

छोटी चोरी, बड़ा नुकसान