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Showing posts from September, 2015

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छोटी चोरी, बड़ा नुकसान

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प्रतीकात्मक फोटो  फॉक्सवैगन की धोखाधड़ी से आज पूरी दुनिया वाकिफ हो चुकी है। वर्जीनिया यूनिवर्सिटी से जुड़े इंजीनियर डेनियल कार्डर ने इस धोखाधड़ी का खुलासा सवा दो साल पहले ही कर दिया था। हालांकि इस मामले पर इतनी देर से कार्रवाई होने पर आश्चर्य होना स्वाभाविक है। वहीँ कार्डर ने इस बीच मार्गटाउन स्थित वेस्ट वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर अल्टरनेटिव फ्यूल, इंजन एंड इमिसंस के अंतरिम निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया है। पांच लोगों की टीम ने किया था खुलासा  कार्डर के नेतृत्व में वर्जीनिया यूनिवर्सिटी की जिस शोध टीम ने मामले का पहली बार खुलासा किया था उसमें पांच लोग थे। इसमें कार्डर के अलावा शोध प्रोफेशर, ग्रेजुएशन के दो छात्र और एक शंकाय सदस्य शामिल थे। उन्होंने मई 2013 में शोध रिपोर्ट जमा की थी। इसकी कुल लागत 50 हजार डॉलर (33 लाख रुपये) थी। इसका भुगतान एक निजी संस्था ने किया था। प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा था कार्डर ने कहा है कि जांच के दौरान एक वाहन में प्रदूषण का स्तर मानक से 15 से 35 गुना अधिक पाया गया था।  जबकि दूसरे वाहन में यह 10 से 20 गुना ज्यादा था। कैसे पक

मटियामेट होती हिंदी

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प्रतीकात्मक फोटो  दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन का अयोजन 10 सितंबर को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें शामिल होने वाले हैं। इस संबंध में नई जानकारी यह है कि पुणे के अनुराग गौड़ और उनके साथियों ने ट्विटर की तर्ज पर पूरी तरह हिंदी में काम करने वाली 'मूषक' नाम की सोशल नेटवर्किंग साइट पेश की है। इसे 10 सितंबर को ऑनलाइन किया जा सकता है। इन सारी खबरों और जानकारियों के बीच बड़ा सवाल यह है कि यह सब हिंदी भाषा को बढ़ावा देने में कितना कारगर साबित होगा। केंद्र सरकार हिंदी के विस्तार के लिए प्रयास कर चुकी है। दक्षिण भारत में जिसका विरोध भी हो चुका है। वहीं दूसरी तरफ भारतीय मीडिया हिंदी को लेकर कितना गंभीर और जिम्मेदार है यह रोज टीवी स्क्रीन और अखबारों में छपी खबरों में दिखाई पड़ जाता है। स्वयं हम और आप अब विशुद्ध हिंदी से कोसों दूर हो चुके हैं। असल में हिंदी अब हिंग्लिश हो गई है। अंग्रेजी के शब्दों की आम बोलचाल में गहरी पैठ ने विशुद्ध हिंदी की सूरत बदल दी है। हमारे लिखने-पढऩे में भी अब वो बात नहीं रही। आजकल के किस्से-कहानियों में भी हिंग

महागठबंधन में टूट

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प्रतीकात्मक फोटो  समाजवादी पार्टी (सपा) ने अकेले अपने दम पर बिहार में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। महागठबंधन में हुई यह टूट क्‍या रंग लाएगी यह तो वक्‍त ही बताएगा, लेकिन एक बात साफ है कि बिहार का विधानसभा चुनाव रोचक होने वाला है। क्‍योंकि हर पार्टी मतदाताओं को रिझाने की पूरी तिकड़म भिड़ाने में जुट जाएंगी। नए-नए वादे करेंगी, फिर उन्‍हें पूरा करने के लिए रोडमैप बताएंगी। अब इस सब में कुछ हो न हो जनता को जरूर लाभ मिलेगा। जो जनता को रिझा पाएगा उसे सत्‍ता की चाबी सौंप दी जाएगी। उम्‍मीद है, बिहार की जनता अपने पूरे विवेक से सही फैसला लेगी। ये वक्‍त जनता के जागरूक होने का है। बिहार की जनता को चाहिए कि जाति, धर्म, समाज, समुदाय, भाई-भतीजावाद को दरकिनार कर अच्‍छी और साफ छवि के शख्‍स को अपना नेता चुने। बिहार में चुनाव की घोषणा से ठीक पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुनाथ झा ने राजद छोड़ दिया है। झा ने लगातार उपेक्षा को इसकी वजह बताया है। हालांकि वे लखनऊ में मुलायम सिंह से मुलाकात कर चुके हैं। वे जल्द ही सपा में शामिल होंगे। ठीक इसी समय लखनऊ में सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल य

हिंदी की बात तो होगी

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प्रतीकात्मक फोटो  अभी -अभी खबरों पर नजर दौड़ाई तो पता चला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 सितंबर को भोपाल जाने वाले हैं। मोदी यहां दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इसका समापन 12 सितंबर को गृह मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे और समापन सत्र में बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन अपने विचार रखेंगे। क्या अद्भुत संयोग जान पड़ता है ये। खासतौर पर अपने शहर भोपाल के लिए यह एक बड़ी खबर है। क्योंकि मध्यप्रदेश की धरती वो जगह है जिसने हिन्दी भाषा (खड़ी बोली) को समृद्ध बनाने वाले माखनलाल चतुर्वेदी, गजानन माधव मुक्तिबोध, कवि प्रदीप से लेकर निदा फाजली और बशीर बद्र जैसे महान लेखक दिए। जिन्होंने अपनी कलम से कई रचनाएं दीं और साहित्य की दुनिया में अलग मुकाम बनाया। राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और अमिताभ बच्चन का भोपाल या मध्यप्रदेश की धरती से क्या नाता है यह बताने की जरूरत नहीं। खैर, 1973 के बाद लगभग 32 वर्ष अंतराल पर भारत में विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि इसमें 27 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे और हिंदी में विशेष योगदान के लिए भारत के 20 और विदेश क