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विकास दुबे एन्काउंटर में ढेर, जिसका अंदेशा था वही हुआ

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एन्काउंटर में मारा गया हिस्ट्रीसीटर विकास दुबे और दूसरी तस्वीर में विकास की मां। उत्तर प्रदेश के कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाला विकास दुबे आखिरकार एन्काउंटर में मारा गया। मध्यप्रदेश में उसे पुलिस ने उज्जैन से गिरफ्तार किया था। इसके बाद यूपी एसटीएफ उसे उज्जैन से कानपुर ले जा रही थी। रास्ते में गाड़ी पलटी, विकास ने एक पुलिसवाले की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की, बस फिर क्या था हो गया एन्काउंटर..। विकास दुबे के एन्काउंटर की ये कहानी बड़ी ही सिंपल है। लेकिन इसमें कई लूपहोल भी हैं। जो विकास दुबे के एन्काउंटर को लेकर कई सवाल भी खड़े करते हैं। हालांकि पुलिस ने कहा है कि वो लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सारे सवालों का जवाब देगी। अरे भई, जवाब कानपुर में ही दे लो। कोसों दूर जाने की क्या जरूरत है। कानपुर में भी सारे मीडिया वाले इकट्ठा हो जाएंगे। आप बस इशारा तो करो। और फिर जो पुलिसवाले इस एन्काउंटर में शामिल हैं, या घायल हुए हैं, वो सब कानपुर में ही तो हैं। जो पूछना या बताना है, यहीं कर लो। खैर, पुलिस जो चाहे करे। बस सवालों के सही और जिज्ञासा को शां​त करने वाले जवाब दे दे। वैस

अपराधी बेटा, पर सजा भुगत रही मां

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बदमाश विकास और उसकी मां सरला कानपुर में हिस्ट्रीशीटर बदमाश विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई। इस दौरान आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। और एन्काउंटर की खबर पूरे देश में आग की तरह फैल गई। खैर ये जो हुआ बुरा हुआ। परंतु हमारे देश में राजनीति और अपराध के गठजोड़ की बात किसी से छिपी नहीं है। देश के कई नेताओं पर मुकदमे दर्ज हैं, ये सब जानते हैं, फिर भी उन्हें वोट तो देते ही हैं। पर ये छोड़िए, गौर करने वाली बात तो दूसरी है। वो ये कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद सरकार ने बदमाश विकास का घर ही तोड़ दिया। जेसीबी ऐसी चली कि पूरा घर तहस-नहस हो गया। इंटरनेट पर आप इस टूटते घर का वीडियो भी देख सकते हैं। मुझे इस घर में रहने वाले किसी शख्स से रब्ता नहीं है। लेकिन घर तोड़े जाने के दृश्य के साथ विकास की मां की तस्वीर भी देखी। घर टूटने के बाद उन्होंने कई सारी बातें कहीं। इनमें से खास वो बात है जिसमें वह सवाल उठा रही हैं। सवाल ये कि विकास इतना ही बुरा था तो फिर राजनीतिक पार्टियों ने उसे अपने दल में शामिल क्यों​ किया? अब माता जी का सवाल इसलिए वाजिब जान पड़ता है क्योंकि जानकारी तो यही निकलकर सामने

पिंकू की प्रेरणा 3

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प्रतीकात्मक फोटो पिंकू को यहां-वहां खुरपी मारते हुए थोड़ा समय बीत जाने के बाद आखिरकार रामसुख ने अपना सवाल दाग ही दिया। उसने पूछा- आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हो? पिंकू ने तपाक से कहा- बड़ा होकर मैं माली बनूंगा। ये सुनते ही रामसुख एक पल को अवाक रह गया। उसने पिंकू से कहा- नहीं भइया, माली मत बनना। रामसुख की इस बात के पीछे एक अलग ही मर्म छिपा हुआ था। क्योंकि जवाब देने से ठीक पहले उसके जहन में वो सभी कारण उठ खड़े हुए थे, जो चाहते थे कि वो पिंकू से साफ कहे कि जीवन में कुछ भी बनना पर माली मत बनना। रामसुख को लोग फूल उगाते, पौधों को खाद-पानी देते और मिट्टी को संवारते हुए देखते हैं। लेकिन वे यह नहीं जानते कि इसमें कितनी मेहनत लगती है। कितना कष्ट सहना पड़ता है। खैर, इसके बावजूद फूल, पेड़-पौधों की सेवा करके मन तो भर जाता है पर पेट का क्या करें। इसे कहां ले जाएं। फिर घर में बच्चे भी तो हैं, मां-बहन और पत्नी भी तो है। इतनी कड़ी मेहनत के बाद भी उनके लिए दो निवाले जुटाना भी कितना दुश्वार है, यह सिर्फ रामसुख ही जानता है। क्योंकि कई रातें उसने पानी पीकर ही गुजारी हैं। रामसुख के जोर देकर नहीं

पिंकू की प्रेरणा 2

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प्रतीकात्मक फोटो बगीचे को सजाने में रामसुख की मेहनत साफ दिखाई देती थी। वह मन लगाके काम किया करता था। बहरहाल, पिंकू लकड़ी के टुकड़े पर बैठा रामसुख की तरफ देख रहा था, वह जानना चाहता था कि बगीचे में काम कैसे होता है। हालांकि इसके पीछे उसके बाल मन की जमीन में खुद अपने हाथों से खुरपी चलाने की खुराफाती सोच थी।  पिंकू चाहता था कि वह खुरपी लेकर जमीन खोदे और इस काम में उसे कितना मजा आएगा। यही सोच-सोचकर वह मंद-मंद मुस्कुरा भी रहा था। रामसुख ने भी उसके मन की बात उसके चेहरे पर पढ़ ली थी, फिर भी कुछ नहीं कहा और अपने काम में जुटा रहा।  थोड़ी देर बात जब पिंकू के सब्र का बांध टूटने सा लगा तो खुद ही तपाक से बोला, रामसुख चाचा ये खुरपी ऐसे क्यों चलाते हैं, क्या तुम मुझे सिखा दोगे। रामसुख ने पिंकू की तरफ देखा और एक गहरी सांस लेकर कहा- अरे बेटा तुम क्यों ये सब करना चाहते हो। अच्छे से पढ़ो-लिखो और बड़े अफसर बनो। इस मिट्टी में तुम्हारे लिया क्या रखा है। देखो कपड़े तक गंदे (अपने कपड़े दिखाते हुए) हो जाते हैं।  पिंकू ने ये बातें सुन तो लीं, लेकिन वो मानने वाला कहां था। उसे तो खुरपी चलाने के ल