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थॉर्डिस और टॉम के साहस को सलाम

प्रतीकात्मक फोटो
दोस्तों, अमूमन देखने को मिलता है कि रेप पीड़िताएं अवसादग्रस्त हो जाती हैं। आत्महत्या कर लेती हैं। या फिर गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर हो जाती हैं। समाज उन्हें सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता, उनका दोष न होते हुए भी उन्हें एक दोषी की तरह नकार दिया जाता है। यहां तक कि दोषी कोर्ट-कचहरी से साक्ष्यों के अभाव में बरी तक हो जाते हैं। यह स्थिति लगभग-लगभग दुनिया के हर हिस्से में है। पर अमेरिकी राज्य सैन फ्रांसिस्को से आई एक खबर ने दुनिया भर की महिलाओं को साहस के साथ जीने की राह दिखाई है।

जी हां, यहां एक रेप पीड़ित महिला ने स्वयं आगे आकर अपनी कहानी लोगों को बताई। सिर्फ यही नहीं रेप करने वाला शख्स भी उनके साथ इस कहानी को सुनाने के लिए आगे आया। दोनों ने मिलकर रेप की घटना के बाद गुजरे वक्त और उस दौरान मिले अनुभवों को लोगों के साथ साझा किया। यह अपने आप में एक साहसपूर्ण कार्य है, जिसकी सराहना किए बगैर नहीं रहा जा सकता। एक महिला का इस तरह अपनी कहानी बयां करना उसके लिए कोई आसान नहीं रहा होगा।
यह कहानी है थॉर्डिस एल्वा की। जो कि 20 साल पूर्व 1996 में रेप का शिकार हुईं। उनके साथ रेप के आरोपी टॉम स्ट्रेंजर ने एक टॉक शो में अपनी कहानी और अनुभवों को साझा किया। इस दौरान दोनों ने यौन हिंसा की वजह और उसके समाधान को लेकर भी चर्चा की।
टॉक शो में आए टॉम और थॉर्डिस ने आप बीती सुनाई। थॉर्डिस आइसलैंड की रहवासी हैं। 1996 में जब वह 16 साल की थीं तो ऑस्ट्रेलिया के 18 साल के टॉम के साथ उन्हें प्यार हुआ। डेट पर भी गईं। एक दिन स्कूल में डांस पार्टी के बाद थॉर्डिस ने पहली बार ड्रिंक किया। जिसके बाद टॉम ने उनके साथ रेप किया।
आपबीती बताते थॉर्डिस ने कहा, ‘शुरू में तो यह बहुत अच्छा लग रहा था और मैं खुद को सेफ महसूस कर रही थी। लेकिन मेरा ये एहसास जल्द ही खौफ में बदल गया। टॉम ने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए और मेरे ऊपर चढ़ गया। मैं सेक्स के लिए राजी नहीं थी, लेकिन मेरा शरीर कमजोर पड़ गया था और प्रतिरोध नहीं कर पा रही था। मुझे जो दर्द हो रहा था उसे मैं बयान नहीं कर सकती। मैंने चुपचाप अपनी घड़ी में हर एक सेकेंड गिनना शुरू कर दिया। उस रात के बाद से मुझे मालूम है कि 2 घंटे में 7200 सेकंड होते हैं।’

वहीं टॉम ने कहा, ‘मैं वैसे तो अच्छे कामों में ज्यादा ध्यान देता था लेकिन उस रात मैंने एक गलत काम को चुना, जो बताता है कि औरत कमजोर होती है और मर्दों का औरतों के शरीर पर हक होता है। वो जैसे चाहे औरतों से बर्ताव कर सकते हैं।’ उस काली रात के बाद थॉर्डिस और टॉम अलग हो गए। टॉम वापस ऑस्ट्रेलिया आ गया। वहीं थॉर्डिस को ये समझने और मानने में ही कई साल लग गए कि उसका रेप हुआ था।

थॉर्डिस ने बताया, ‘मैं कई सालों तक खुद से ही लड़ती रही। अपने अंदर चल रहे गुस्से और नफरत के तूफान को चुप नहीं करा पा रही थी। ऐसे ही किसी एक दिन मैंने टॉम को एक खत लिखा और अपना सारा गुस्सा उसमें निकाल दिया।’
टॉम ने भी जवाबी खत लिखा और दोनों के बीच इसको लेकर कई साल तक बातें चलती रहीं। जिसके बाद दोनों ने एक साथ आकर सबको यह कहानी बताने और आगाह करने का फैसला किया। यहां सुखद बात यह है कि इन दोनों ने ही अपनी गलतियों को पहचाना, माना और दूसरों को आगाह करने का बीड़ा उठाने का साहस दिखाया।

अंत में अपनी बात...

दोस्तों, इंसान क्या कुछ गलत नहीं कर जाता। गलतियां सभी से होती हैं। कोई दावा नहीं कर सकता कि उसने कभी कोई गलती नहीं की होगी। देश-दुनिया के कानून भी इसलिए बनाए गए हैं ताकि अपराधी, दोषी को उसके अपराध का बोध हो और वह सही मार्ग पर आ जाए। इसलिए ही कड़ी से कड़ी सजाओं का प्रावधान किया है। उम्मीद करता हूं, हम सभी धरती पर रहने वाले भले ही अलग-अलग देशों में रहते हैं परंतु अपने आचरण से इस दुनिया को खूबसूरत बनाने में योगदान दे सकते हैं। कमजोरों को सहारा और साहसी का उत्साह बढ़ा सकते हैं। हम स्वयं और दूसरों को अपराध की राह पर आगे बढ़ने से रोक सकते हैं। कुछ नहीं तो कम से कम ऐसी कोशिश तो कर ही सकते हैं। बाकी थॉर्डिस और टॉम के साहस को मेरा सलाम।

-योगेश साहू



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