दो दिन में दो बदलावों ने बदल दी 'दुनिया'
आज पूरी दुनिया दो बदलावों से हैरान है। पहला भारत में बड़े नोटों का बंद होना और दूसरा अमेरिका में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की जीत। पिछले दो दिन में हुए इन दो बदलावों ने दुनिया को भी बदल दिया है। आने वाले समय में इन दो बदलावों से दुनिया और भी बदलेगी। इसके कारण कुछ इस प्रकार से हो सकते हैं...
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत को कई तरह से देखा जा रहा है। जैसे कि इस जीत को भारत के लिए अच्छा और पाकिस्तान के लिए बुरा कहा जा रहा है। हालांकि ट्रंप की जीत से पूरी दुनिया हैरान है। हो भी क्यों न, इस जीत से पूरी दुनिया प्रभावित होगी। ठीक वैसे ही जैसे भारत में बड़े नोट के बंद होने की खबर से दुनियाभर के शेयर बाजार प्रभावित हुए हैं।
डोनाल्ड ट्रंप की जीत से पूरी दुनिया की विदेश नीतियों पर असर पड़ेगा। खुद अमेरिका की विदेश नीति भी प्रभावित हुए बगैर नहीं रहेगी। ट्रंप को इस्लामिक विरोधी माना जाता है। ऐसे में देश-दुनिया के तमाम इस्लामिक देशों पर असर पड़ेगा। उनके साथ अमेरिका अपने हितों के नजरिए से ही संबंध निभाता रहा है और अब तो ट्रंप के आने से यह संबंध और भी दबाव से गुजरेंगे। आतंकवाद का मुद्दा तो है ही सबके पास आग में घी डालने के लिए। खैर, भविष्य की गर्त में क्या छिपा है यह तो कहना मुश्किल है लेकिन संभावनाएं यही दिख रही हैं कि ट्रंप का आतंकवाद को लेकर एक साफ मत या विचार है। यह विचार ही उनकी रणनीति तय करेगा। क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप मुस्लिमों को देश में प्रवेश देने पर रोक की बात कह चुके हैं। वे बंदूक लॉबी के समर्थक हैं, जबकि पिछले कुछ माह में अमेरिका ने इसी बंदूक के कारण अपने कई नागरिकों की जान गंवाई है, वहां कई प्रदर्शन हुए हैं, जिनमें कई घायल हुए। पुलिस को परेशानी उठानी पड़ी सो अलग। चुनाव प्रचार के दौरान अपने बयानों से ट्रंप विवादों को हवा भी देते रहे हैं।
हालांकि राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपने संदेश में सबको साथ लेकर चलने और अमेरिका को फिर से महान बनाने की बात कही है, लेकिन जो कहा जाता है, वैसे ही किया जाए यह कोई जरूरी नहीं है।
भारत में बड़े नोट बंद होने का असर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर पड़ा है। खुद भारत का शेयर मार्केट डांवाडोल हुआ है। हालांकि 500 और 2000 रुपये के नए नोट आने पर स्थिति कुछ बेहतर जरूर होगी। लेकिन दीर्घकाल में इसका असर व्यापक होगा। सबसे बड़ी परेशनी उन लोगों की है, जिन्होंने बरसों से पैसा जमा करके रखा और अब वह किसी काम का नहीं रह गया।
परेशानी यह भी है कि जिन्होंने ईमानदारी से पैसा जमा किया वे भी मुसीबत झेल रहे हैं और जिन्होंने बेईमानी से जमा किया वे भी मुसीबत के मारे नजर आ रहे हैं। सबसे बड़ी बात कि इतना बड़ा फैसला लेते समय भारत सरकार ने इसके क्रियान्वयन पर जितना विचार किया या जो तैयारियां कीं, जमीनी स्तर पर वह नाकाफी साबित हुईं और हो रही हैं। क्योंकि भ्रष्टाचार से कमाई करने वाली बड़ी मछलियों को पकड़ने के चक्कर में आमजनता दिक्कतें उठाने को मजबूर है।
किसी की शादी रुकी, किसी का इलाज रुका, किसी को सब्जी या घर का जरूरी सामान खरीदने के लाले पड़े तो किसी को बेवजह ही जरूरी खर्च के लिए चार दिन पहले बैंक से निकालकर जेब में रखे अपने 1000 और 500 के नोट बदलने की कवायद करनी पड़ी।
यहां तक कि खबर तो ऐसी भी आई कि बड़े नोट बंद होने की खबर पर नोट बदलवाने बैंक पहुंची एक बुजुर्ग महिला ने दम ही तोड़ दिया। क्योंकि उसे बैंक बंद मिला था। इस फैसले के बाद हुई परेशानियों की ऐसी ही तमाम खबरें यहां-वहां से आ ही रही हैं।
अब देखना यह होगा कि 31 दिसंबर के बाद भारत सरकार कितना कालाधन पकड़ में आने की घोषणा करती है। क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि जितना पकड़ में आए उससे कहीं ज्यादा नए नोट छापने और बाजार में लाने में खर्च हो जाए। जो भी हो इस सारी कवायद का परिणाम भविष्य में फलीभूत (सामने आना) होंगे।
-योगेश साहू
ट्रंप की जीत से क्या बदलाव होंगे
प्रतीकात्मक फोटो |
डोनाल्ड ट्रंप की जीत से पूरी दुनिया की विदेश नीतियों पर असर पड़ेगा। खुद अमेरिका की विदेश नीति भी प्रभावित हुए बगैर नहीं रहेगी। ट्रंप को इस्लामिक विरोधी माना जाता है। ऐसे में देश-दुनिया के तमाम इस्लामिक देशों पर असर पड़ेगा। उनके साथ अमेरिका अपने हितों के नजरिए से ही संबंध निभाता रहा है और अब तो ट्रंप के आने से यह संबंध और भी दबाव से गुजरेंगे। आतंकवाद का मुद्दा तो है ही सबके पास आग में घी डालने के लिए। खैर, भविष्य की गर्त में क्या छिपा है यह तो कहना मुश्किल है लेकिन संभावनाएं यही दिख रही हैं कि ट्रंप का आतंकवाद को लेकर एक साफ मत या विचार है। यह विचार ही उनकी रणनीति तय करेगा। क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप मुस्लिमों को देश में प्रवेश देने पर रोक की बात कह चुके हैं। वे बंदूक लॉबी के समर्थक हैं, जबकि पिछले कुछ माह में अमेरिका ने इसी बंदूक के कारण अपने कई नागरिकों की जान गंवाई है, वहां कई प्रदर्शन हुए हैं, जिनमें कई घायल हुए। पुलिस को परेशानी उठानी पड़ी सो अलग। चुनाव प्रचार के दौरान अपने बयानों से ट्रंप विवादों को हवा भी देते रहे हैं।
हालांकि राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपने संदेश में सबको साथ लेकर चलने और अमेरिका को फिर से महान बनाने की बात कही है, लेकिन जो कहा जाता है, वैसे ही किया जाए यह कोई जरूरी नहीं है।
भारत में बड़े नोट बंद होने का असर
भारत में बड़े नोट बंद होने का असर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर पड़ा है। खुद भारत का शेयर मार्केट डांवाडोल हुआ है। हालांकि 500 और 2000 रुपये के नए नोट आने पर स्थिति कुछ बेहतर जरूर होगी। लेकिन दीर्घकाल में इसका असर व्यापक होगा। सबसे बड़ी परेशनी उन लोगों की है, जिन्होंने बरसों से पैसा जमा करके रखा और अब वह किसी काम का नहीं रह गया।
प्रतीकात्मक फोटो |
किसी की शादी रुकी, किसी का इलाज रुका, किसी को सब्जी या घर का जरूरी सामान खरीदने के लाले पड़े तो किसी को बेवजह ही जरूरी खर्च के लिए चार दिन पहले बैंक से निकालकर जेब में रखे अपने 1000 और 500 के नोट बदलने की कवायद करनी पड़ी।
यहां तक कि खबर तो ऐसी भी आई कि बड़े नोट बंद होने की खबर पर नोट बदलवाने बैंक पहुंची एक बुजुर्ग महिला ने दम ही तोड़ दिया। क्योंकि उसे बैंक बंद मिला था। इस फैसले के बाद हुई परेशानियों की ऐसी ही तमाम खबरें यहां-वहां से आ ही रही हैं।
अब देखना यह होगा कि 31 दिसंबर के बाद भारत सरकार कितना कालाधन पकड़ में आने की घोषणा करती है। क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि जितना पकड़ में आए उससे कहीं ज्यादा नए नोट छापने और बाजार में लाने में खर्च हो जाए। जो भी हो इस सारी कवायद का परिणाम भविष्य में फलीभूत (सामने आना) होंगे।
-योगेश साहू
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