Posts

Showing posts from 2017

Amazon

Amazon
Shop Now ON Amazon

पिंकू की प्रेरणा 1

Image
प्रतीकात्मक फोटो बात उन दिनों की है जब रामसुख जीवन के मध्य पड़ाव में था। आज के हिसाब से यदि इंसान की औसत उम्र साठ बरस की मानें तो वह यही कोई तीस से पैंतीस बरस के बीच रहा होगा। क्योंकि उसके जनम की सही-सही तारीख तो खुद उसे भी नहीं मालूम थी। उसकी मां विमला कहती थीं कि जिस साल इंदिरा गांधी मरीं, उसी साल तेरा जनम हुआ, जब गर्मियां बीत गई थीं और सर्द रातों का मौसम अपनी बाल अवस्था में था। रामसुख कहने को तो माली का काम करता था। लेकिन उसकी बातें बड़े दार्शनिकों जैसी थीं। क्योंकि उसने जिंदगी के फलसफे को बेहद गहराई से समझ लिया था। एक बात और, उसे बच्चों से बड़ा लगाव था। उनके साथ खेलने, हंसने-बोलने में उसे आत्मिक आनंद की अनुभूति होती थी। लेकिन वक्त को कुछ और ही मंजूर था। खैर, एक दिन रामसुख अपने मालिक गौतम के बगीचे में पौधों को पानी दे रहा था। तभी उसके सिर पर कोई चीज जोर से टकराई, एक पल को तो वह जमीन पर गिरने ही वाला था, पर अपने आपको संभाल लिया।  पीछे से सॉरी अंकल, सॉरी अंकल कहते हुए पिंकू दौड़ता हुआ उसके पास आकर रुका और पूछने लगा कि कहीं आपको चोट तो नहीं लगी। रामसुख ने कहा, नहीं पिंकू

थॉर्डिस और टॉम के साहस को सलाम

Image
प्रतीकात्मक फोटो दोस्तों, अमूमन देखने को मिलता है कि रेप पीड़िताएं अवसादग्रस्त हो जाती हैं। आत्महत्या कर लेती हैं। या फिर गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर हो जाती हैं। समाज उन्हें सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता, उनका दोष न होते हुए भी उन्हें एक दोषी की तरह नकार दिया जाता है। यहां तक कि दोषी कोर्ट-कचहरी से साक्ष्यों के अभाव में बरी तक हो जाते हैं। यह स्थिति लगभग-लगभग दुनिया के हर हिस्से में है। पर अमेरिकी राज्य सैन फ्रांसिस्को से आई एक खबर ने दुनिया भर की महिलाओं को साहस के साथ जीने की राह दिखाई है। जी हां, यहां एक रेप पीड़ित महिला ने स्वयं आगे आकर अपनी कहानी लोगों को बताई। सिर्फ यही नहीं रेप करने वाला शख्स भी उनके साथ इस कहानी को सुनाने के लिए आगे आया। दोनों ने मिलकर रेप की घटना के बाद गुजरे वक्त और उस दौरान मिले अनुभवों को लोगों के साथ साझा किया। यह अपने आप में एक साहसपूर्ण कार्य है, जिसकी सराहना किए बगैर नहीं रहा जा सकता। एक महिला का इस तरह अपनी कहानी बयां करना उसके लिए कोई आसान नहीं रहा होगा। यह कहानी है थॉर्डिस एल्वा की। जो कि 20 साल पूर्व 1996 में रेप का शिकार हुईं। उनके साथ रेप

सुप्रीम कोर्ट का चला डंडा, ‘ताऊ’ पड़ गया ठंडा

Image
सुप्रीम कोर्ट ने फिर गेंद पवेलियन के बाहर भेजी  प्रतीकात्मक फोटो सुप्रीम कोर्ट ने फिर गेंद पवेलियन के बाहर भेजी   सुप्रीम कोर्ट ने दो बड़े फैसले दिए हैं। पहला लोकतंत्र की रक्षा के लिए अहम है। जबकि दूसरा खेलों के वि कास में मील के पत्थर की तरह है। इन दो फैसलों ने भारत जैसे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश को और मजबूती देने का काम किया है। इन फैसलों के दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे इसमें कोई शक नहीं। आईए जानते हैं ये दो बड़े फैसले क्या हैं..... 1. सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि धर्म, जाति, मत और संप्रदाय के नाम पर वोट नहीं मांगा जा सकता। इन आधारों पर वोट मांगना चुनाव कानूनों के तहत भ्रष्ट व्यवहार होगा जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। ऐसा करने वाले उम्मीदवार का चुनाव रद्द किया जा सकता है। 2. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) प्रेसिडेंट के पद से अनुराग ठाकुर और सेक्रेटरी के पद से अजय शिर्के को हटा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि उसके आदेश के बाद भी बीसीसीआई में लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू नहीं करने के लिए ये दोनों ही जिम्मेदार हैं। भई बात सीधी सी है, न