Posts

Showing posts from December, 2016

Amazon

Amazon
Shop Now ON Amazon

जयललिता का सच सामने आए

Image
प्रतीकात्मक फोटो तमिलनाडु की 6 बार सीएम रहीं जयललिता की मौत को लेकर मीडिया में कई सवाल तैर रहे हैं। यहां तक कि अब हाईकोर्ट ने भी सवाल उठा दिए हैं। मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच की मांग लेकर दायर पिटीशन पर सुनवाई करते हुए ये सवाल उठाए हैं। बेशक अपने प्रिय नेता की मौत की खबर सुनने के बाद उनके प्रशंसकों को यह जानने का पूरा हक है कि आखिर मौत हुई कैसे। जबकि सबकुछ ठीक था। जयललिता खाना खा रही थीं। सामान्य हो रही थीं। हालत में सुधार आ रहा था। फिर ऐसा क्या हुआ जो उनका निधन हो गया। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के जस्टिस वैद्यनाथन ने पूछा है कि "जांच के लिए जयललिता की बॉडी को बाहर क्यों नहीं निकाला जा सकता? मौत को लेकर मीडिया ने कई सवाल उठाए हैं। हमें भी शक है। पूरी सच्चाई सामने आनी ही चाहिए।" कोर्ट ने इस मामले में पीएमओ, होम-लॉ-पॉर्लियामेंट्री मिनिस्ट्री और सीबीआई को नोटिस जारी किया है। कार्डिएक अरेस्ट से हुई मौत जस्टिस वैद्यनाथन और जस्टिस पारथिबन की वेकेशन बेंच ने AIADMK पार्टी वर्कर पीए जोसेफ की पीआईएल पर सुनवाई की है। कोर्ट ने जयललिता को लेकर सीक्रेसी बरतने पर अपनी नाखु

नोटबंदी : गोलगप्पे के साथ गप्पें गोल

Image
प्रतीकात्मक फोटो नोटबंदी की चर्चा इन दिनों हर जगह है। कहा जा रहा है कालाधन निकलेगा। पर जो खबरें सामने आ रही हैं उनसे तो लगता है कि कालाधन और बढ़ गया है। आए दिन नए नोटों की खेप पकड़ी जा रही हैं। खैर, इस सब के बीच हमारे चुन्नू भइया काफी परेशान हैं। चुन्नू भइया गोलगप्पों के बड़े शौकीन हैं। शौक भी ऐसा कि दिन का खाना छोड़ गोलगप्पों से पेट भर लें और डकार भी न लें। यार-दोस्तों से मिलते हैं तो बस गोलगप्पे के ठेले पर महफिल जम जाती है। फिर तो बस गोलगप्पे पे गोलगप्पे आने दो बस।  चुन्नू भइया, नोटबंदी के बाद से परेशान इसलिए हैं कि पहले तो जेब भरी रहती थी। अब खाली है, क्योंकि एटीएम से नोट नहीं मिल रहे हैं। और तो और उनके यार-दोस्त भी कम खर्चीले नहीं थे। जेब में पैसा हो तो चवन्नी बचे रहने तक की परवाह नहीं करते। तो साहब, चुन्नू भइया का रोज की महफिल गोलगप्पे के ठेले पर चलती थी। महफिल में गोलगप्पों के साथ खूब गप्पें लगतीं। राजनीति से लेकर देश-दुनिया और समाज यहां तक कि प्रीत, प्रेम, प्यार, वासना के फर्क तक गोलगप्पों के साथ गोल-गोल हुए जाते और चटखारेदार पानी की तरह ज्ञान पीते-पिलाते जाते। 

नोटबंदी: चोर, चाय की चुस्की, बस चार साल चक्कर

Image
प्रतीकात्मक फोटो नोटबंदी क्या लागू हुई मानो इंसानी आफत टूट पड़ी। जी हां, जहां देखो नोटबंदी की चर्चा। कमाल ऊपर से ये कि कोई विरोध करे भी तो कैसे और कितना करे? खैर, राजनीतिक दलों ने तो फिर भी विरोध कर लिया पर आम आदमी ने चुपचाप इस फैसले को स्वीकार कर लिया। आखिर मरता क्या ना करता। भई, मेहनत से कमाए अपने पैसे जो हैं। ऊपर से देशभक्ति दिखाना आजकल शगल बन गया है। चलो ये सारी परेशानियां तो ठीक हैं। पर एक बात है जो पच नहीं रही है। बात ये कि सरकार कह रही है, जिसने कालाधन कमाया है खुद ही आकर 50 प्रतिशत सामने रख दे। बाकी 50 प्रतिशत ले जाए। वाह। क्या गजब की तरकीब है। चोर, चोरी करे और आधा माल कोतवाल के सामने पेश कर दे। न सजा न कोर्ट-कचहरी का झंझट। क्या करें साहब अपने देश में कहावत ही यही है कि- बाप बड़ा ना भइया, सबसे बड़ा रुपइया। आमधारणा है कि चोर चोरी करे और पकड़ा ना जाए, तो चोर नहीं। सरकार ने भी ऐसा ही तरीका अपनाया है। चोर चोरी करे माल में हिस्सा दे और सजा भी ना पाए। जो सजा मिले भी तो मामूली। (यहां एक उदाहरण देना चाहूंगा कि किसी ने 1 करोड़ रुपये कालाधन कमाया। कालाधन मतलब चोरी का पैसा भाईलोग